°• The Non-Sexual Hook-up & Silence ✧

¶ यह कहानी है रिद्धिमा और पार्थ की। दोनों अपनी 20s में थे, रिद्धिमा की इंजीनियरिंग पूरी होने वाली थी और पार्थ इवेंट मैनेजमेंट में अपनी अंडरग्रेजुएशन के तीसरे यानि आखिरी साल में था, मुंबई में। रिद्धिमा का कॉलेज दिल्ली में था, और पार्थ भी दिल्ली का रहने वाला था। दोनों मिले थे पार्थ की एक दोस्त, महक की वजह से, जो उसी के कॉलेज में थी और रिद्धिमा को काफी पहले से जानती थी क्योंकि दोनों ने साथ में कोविड - 19 के दौरान नॉर्थ इंडिया में वॉलंटियर किया था, वहीं उनकी जान - पहचान हुई। एक दिन महक ने रिद्धिमा से बात करते हुए पार्थ का ज़िक्र किया, तो रिद्धिमा को उसमें रुचि हुई। महक उसकी बातों से जान चुकी थी, के रिद्धिमा को पार्थ से बात करने का मन है। महक ने पार्थ को रिद्धिमा के बारे में बताया, लेकिन उसने कुछ खास रुचि नहीं दिखाई। महक जानती थी की पार्थ थोड़ा खुद में खोए रहने वालों में से है, लेकिन रिद्धिमा के पार्थ के साथ काफी समानताएं नोटिस करने के बाद, उसे भी लगा के दोनो को बात करनी चाहिए, शायद पार्थ किसी समान विचारधारा रखने वाले इंसान से थोड़ा ज्यादा खुल पाए, क्योंकि कभी कभी उसे पार्थ का यूं चुप - चुप रहना अच्छा नहीं लगता था। वो चाहती थी के पार्थ थोड़ा सोशलाइज करना सीखे। तो किसी तरह उसने इन दोनो की इंस्टाग्राम पर बात कराई। एक दो दिन के अंदर ही आसार ऐसे बने के दोनो घंटो बातें करने लगे। भले ही दोनो अलग - अलग कोर्स में थे, पर दोनो की सोच काफी मिलती थी, यह उन्हें बात करने के दौरान एहसास हुआ। जब बात करते हुए एक - दो महीने से भी ज्यादा हो गया, तो दोनो एक दूसरे के काफी निजी और पारिवारिक मसलों पर भी एक दूसरे की राय लेने लगे। किंतु यह केवल राय लेने तक ही सीमित था, दोनों एक दूसरे के घर के मसलों या निजी जिंदगी में दख़ल - अंदाज़ी नही करते थे। यहां तक कि दोनो में से किसी ने भी कभी एक दूसरे को "दोस्त" नही कहा, बल्कि उन्होंने कभी अपने इस रिश्ते को कुछ नाम देने की कोशिश ही नहीं की, बस यह था कि बात करते है। परंतु एक दूसरे की इतनी समझ हो जाने के कारण अब दोनो के बीच अट्रैक्शन बढ़ने लगा था। लोग कहते हैं के, "Opposites Attract Each Other." – लेकिन इनके मामले में यह नियम violate हुआ। दोनो में असल में काफी समानताएं थी। दोनो Highly Introverted थे, किसी से कम बात करते थे, दोनो ही पढ़ने में अच्छे थे, और तो और दोनो Anime और BTS के काफी बड़े फैन भी निकले! सोच और विचारधारा तो एक जैसी थी ही, जो महक ने पहले ही जान लिया था। ऐसे ही चलते - चलते कुछ समय बाद पार्थ का घर, यानि दिल्ली जाने का प्रोग्राम बना। जब यह महक को पता चला तो उसने उससे रिद्धिमा से भी मिलने की बात कही। पहले तो वो राज़ी नहीं हुआ, थोड़ा हिचकिचाया पर महक के ज़्यादा ज़ोर देने पर उसने रिद्धिमा के सामने प्रस्ताव रखा। रिद्धिमा ने पहले कहा वो सोच कर बताएगी, क्योंकि उसने इतनी जल्दी इसकी उम्मीद नहीं की थी। पार्थ को लगा के वो मना ही करेगी, क्योंकि वो खुद जानता था के वो अपने आप भी अभी सहज नहीं है मिलने के लिए, और क्योंकि दोनो की पर्सनैलिटी एक समान सी है, तो शायद रिद्धिमा को भी अभी इतना सहज नहीं लगेगा, तो उसने कोई ख़ास उम्मीद नहीं रखी। लेकिन उसी दिन शाम को रिद्धिमा का जवाब आया के "हां, हम मिल सकते है...और अगर तुम चाहो तो मेरे फ्लैट पर एक रात रुक भी सकते हो"। पार्थ को थोड़ा अचंभा हुआ, पर उसे भी फिर अच्छा लगा जब उसने मिलने के बारे में थोड़ा सोचा। लेकिन उसने रात में रुकने वाली बात को लेकर हामी नहीं भरी, उसने कह दिया के इस बारे में देख लेंगे, रुकना है के नहीं। जाने से एक रात पहले जब दोनो मिलने की जगह और समय के बारे में बात कर रहे थे, तो रिद्धिमा ने कहा वो कुछ अलग अनुभव करना चाहती है, इस मीटिंग के दौरान। उसने पार्थ से कुछ नया और रोचक करने को कहा, क्योंकि उसे खुद कुछ आइडियाज नही आ रहे थे, और वो जानती थी की पार्थ काफी क्रिएटिव है तो जरूर कुछ प्लान कर लेगा। पार्थ ने इस पर कहा, "दो Highly Introverted लोग असल में एक दूसरे से मिल रहे है, साथ में समय बिताने की सोच रहे हैं, क्या यह अपने आप में रोचक और नया नहीं है?" रिद्धिमा ने इस पर उसे जवाब दिया के "वो सब अपनी जगह है, तुम कुछ नया बताओगे तो ही में आऊंगी" – ऐसा उसने अपनी बात मनवाने के लिए कहा। अब पार्थ भी थोड़ा Interested हुआ, उसने थोड़ा सोचने के बाद कहा, "कैसा हो अगर हम एक दूसरे से मिलने के पल से लेकर, वापस अपने अपने घर आने तक एक शब्द भी न बोलें? It will be like a silent meet, no use of speech - just understanding & communicating through signs or somehow in any other ways but not by voice." रिद्धिमा ने कहा, "That sounds amazing! लेकिन क्या तुम्हे लगता है के यह हमसे हो पाएगा, मतलब हम पहली बार मिल रहे है, इतनी समझ एक दूसरे की शायद अभी नहीं होगी असल में, तो impossible सा लगता है"। पार्थ ने जवाब दिया, "तुमने कुछ intersting कहा था, मुझे यही सूझा – नही हो पाया तो रहने देंगे, पर अब तो करना है।" अब रिद्धिमा को दिखा के पार्थ खुद जोर दे रहा है, तो उसका उत्साह बढ़ा, और वो भी मान गई। फिर दोनो ने मिलने की जगह और समय तय किया। अगले दिन पार्थ की फ्लाइट थी। वह पहले अपने घर पहुंचा, रिद्धिमा से मिलने उसे अगले दिन सुबह को जाना था। जब अगली सुबह पार्थ घर से निकल रहा था, तो उसने रिद्धिमा को मैसेज किया, "Remember the rule." रिद्धिमा का उत्तर आया, "I'll try my best. :)" पार्थ तय की हुई जगह पर समय से पहुंच गया, उसने देखा रिद्धिमा वहा पहले से ही आई हुई है। दोनों ने एक दूसरे को wave करते हुए Hi कहा, परन्तु शब्द नही कहे। पार्थ को खुद पर थोड़ी निराशा हुई, यह देख कर के रिद्धिमा वहां पहले से ही आ गई थी, हालांकि वह खुद भी लेट नही था। पर उसे रिद्धिमा ने पहले ही बताया था के उसे समय से पहले पहुंचना पसंद है। खैर जो भी हो, पार्थ थोड़ा असहज हुआ ज़रूर, किंतु वह इस संबंध में कुछ कह न सका, क्योंकि वैसे भी उनके न बोलने वाले नियम के कारण पार्थ ने सोचा था कि ज़्यादा कुछ कहा नहीं जायेगा भले ही वें कोई और माध्यम इस्तेमाल क्यों न कर ले। रिद्धिमा मेट्रो से आई थी, उन दोनो ने रिद्धिमा के फ्लैट की लोकेशन से कुछ दूर वाले एक पब्लिक पार्क में मिलने का प्लान बनाया था। पार्थ अपनी सोच में डूबा हुआ था के तभी रिद्धिमा ने पास वाली बेंच पर बैठने का इशारा किया। पार्थ का ध्यान अपने विचारों पर था, उसे न बोलने वाला नियम याद नही रहा, तो वह एग्रीमेंट में कुछ शब्द कहने ही वाला था, लेकिन उसके मुंह से निकले पहले शब्द "हां" पर ही रिद्धिमा ने उसे अपने होटों पर उंगली रखकर टोका और हल्का सा सर दाएं - बाएं हिलाते हुए, मुस्कुराते हुए उसे बोलने से मना किया। पार्थ थोड़ा संभला और उसने मुस्कुराते हुए कान पकड़ लिए। पार्थ का यह अंदाज इतना मासूमियत भरा था के रिद्धिमा शर्मा कर हँस दी। फिर दोनो बेंच के दोनो छोर पर एक दूसरे से कुछ दूरी पर बैठ गए। कुछ देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे, फिर रिद्धिमा ने अपने बैग से एक टिफिन निकाला और पार्थ की तरफ किया। इस पर एक स्टीकर लगा था, जिस पर लिखा था "यह तुम्हारे लिए।" पार्थ ने टिफिन हाथ में लिया, वो फिर से मुस्कुराया। उसने टिफिन खोला, उसमें रसभरी थी जो रिद्धिमा घर से लाई थी। पार्थ थोड़ा भावुक हुआ। रिद्धिमा जानती थी पार्थ को रसभरी काफी पसंद है, उसे पार्थ ने एक बार बताया था। यह देखकर पार्थ को काफी अच्छा लगा, उसके लिए यह एक बड़ा gesture था। उसने एक रसभरी ली और रिद्धिमा की तरफ टिफिन करते हुए उसे भी लेने का इशारा किया। दोनो साथ में रसभरी खाने के बाद, पार्क में टहलने के लिए बढ़े। टहलते हुए भी दोनो ने कुछ बातचीत नहीं की। एक moment में जब दोनो साथ साथ चल रहे थे, तो पार्थ कुछ फूलों की तस्वीरे लेने के लिए रुक गया, उसे यह सब काफी अच्छा लगता था, लेकिन रिद्धिमा ने ध्यान नहीं दिया और वो कुछ आगे तक आ गई। पार्थ का ध्यान तस्वीर खींचने पर था, और वह आवाज भी नही लगा सकता था। पर फिर थोड़ा सा ही दूर जाकर रिद्धिमा ने ध्यान दिया के पार्थ पीछे रुक गया है, तो वह वापस आई। जब वह पास आई तो उसने पार्थ की तरफ सवाल पूछने वाला इशारा किया, सर को ऊपर करते हुए, और हाथ की उंगलियों को हथेली की तरफ हल्का सा घुमाकर। पार्थ थोड़ा पास आकर उसे तस्वीरें दिखाने लगा। तस्वीरें देखकर रिद्धिमा ने अपनी प्रतिक्रिया में मुस्कुराते हुए दोनो हाथों से दिल का आकार बना दिया। पार्थ को इस पर हल्की सी हँसी आ गई, अब उसे यह साइलेंट मीटिंग और रोचक लगने लगीं थी, जब उसने देखा दोनो कितनी कोशिश कर रहे हैं।

फिर रिद्धिमा ने चलने के लिए पूछा, इशारे से, और पार्थ ने हां में सर हिला दिया। अब दोनो थोड़ी देर तक ऐसे ही साथ में टहलते रहे, मन में कहने को काफी कुछ था, पर दोनो का Introverted nature और उनका नियम उन्हें रोके हुए था। कुछ देर ऐसे ही चलने के बाद पार्थ ने अपना फोन निकाला और उसमें टाइप किया, "तुम्हे पता है के मुझे ज्यादा बाहर घूमना पसंद नहीं है, न ही इतना चलना पसंद है... पर हम समय बिताने के लिए साथ में तुम्हारे फ्लैट पर चल सकते है, साथ में मूवी देख लेंगे।" टाइप करने के बाद उसने फोन रिद्धिमा को दिया पढ़ने के लिए। रिद्धिमा ने उसी के फोन में आगे रिस्पॉन्स में टाइप किया, "यह सही रहेगा, वैसे भी यहां करने को ज्यादा कुछ नहीं है, let's go." रिद्धिमा ने फोन वापस पार्थ को दिया, उसने रिस्पॉन्स पढ़ा और दोनो इशारे में एग्री करते हुए मेट्रो स्टेशन की तरफ चले गए। वहां पहुंचकर जब दोनो मेट्रो लेने के लिए निर्धारित प्लेटफार्म पर जा रहे थे, तो excitement में उछलते हुए रिद्धिमा पार्थ से काफी तेज तेज चलकर थोड़ा आगे निकल गई थी, तभी पार्थ ने थोड़ा जल्दी उसकी तरफ चलकर पीछे से काफी हल्के से उसका हाथ पकड़ लिया। वो पलटी और तभी पार्थ ने बड़े शांत भाव से उसकी तरफ सर को दाएं - बाएं हिलाकर ऐसा न करने का इशारा किया। पर इसी क्षण रिद्धिमा ने अपने हाथ की तरफ देखा, जो पार्थ ने पकड़ा था। पार्थ को लगा उसे ऐसे बिना पूछे हाथ नही पकड़ना चाहिए था, उसने एक दम से रिद्धिमा का हाथ छोड़ा और थोड़ा पीछे हटते हुए, माफी मांगने के लिहाज़ से अपने कान पकड़ने लगा। तभी बीच में ही रिद्धिमा ने उसका हाथ पकड़ लिया, और दोनों ने एक दूसरे की तरफ कुछ पल देखा और साथ में एक गति से चलने लगे। मेट्रो आ जाने पर दोनो उसमें चढ़ गए, पर सीट नही मिली। यहां दोनो को एक दूसरे का हाथ छोड़ना पड़ा, क्योंकि भीड़ के कारण दोनो थोड़ा दूर खड़े थे। फिर कुछ देर बाद मेट्रो के गेट के पास वाली सीट खाली हुई, जो केवल दो लोगों के बैठने के लिए होती हैं। दोनो वहां बैठ गए। कुछ देर तक दोनो शांत बैठे रहे। फिर एक क्षण ऐसा आया जब रिद्धिमा से रहा नही गया, उसने अपना फोन निकाला और उसमें टाइप किया, "पार्थ, वो, क्या मैं तुम्हारे कंधे पर सर रख सकती हूं? तुम ना कर सकते हो, मैने... बस पूछा।" उसने टाइप करके पार्थ को फोन दिया। पार्थ ने बस पढ़ा, रिस्पॉन्स में कुछ लिखा नहीं और फोन रिद्धिमा को वापस दे दिया। फिर उसने रिद्धिमा की बांह को अपनी बांह में लिया, थोड़ा सा उसकी तरफ खिसका, पर उसने रिद्धिमा की तरफ देखा नही। रिद्धिमा उसका इशारा समझ गई, और उसने अपने सिर को पार्थ के कंधे पर रख कर आंखे बंद कर ली। अपना स्टेशन आने तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे, फिर स्टेशन आने पर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर रिद्धिमा के फ्लैट की तरफ चले। रास्ता रिद्धिमा को पता था, तो पार्थ केवल उसे फॉलो कर रहा था। लेकिन इस बार दोनो ने पूरे रास्ते एक दूसरे का हाथ नही छोड़ा।

दोनो घर पहुंचे, रिद्धिमा के फ्लैट में बाकी लड़कियां भी रहती थी, पर उसके रूम में वो अकेली रहती थी। इस वक्त कोई और फ्लैट पर नही था, सब कॉलेज गए थे, रिद्धिमा ने आज छुट्टी ली थी। दोनो रिद्धिमा के कमरे में गए, रिद्धिमा ने पार्थ को बैठने का इशारा किया, वो बेड की सिरहाने वाली साइड पर बैठ गया। रिद्धिमा अपने और उसके लिए पानी लाने गई। वह पानी लेकर आई, उसने पार्थ को पानी दिया और खुद बेड के दूसरे छोर पर उसके सामने वाली साइड ही जाकर बैठ गई। पानी पीकर दोनो ने अपने अपने ग्लास बेडसाइड टेबल पर रखे, और कुछ देर ऐसे ही शांत बैठकर आराम करने लगे। फिर कुछ समय बाद रिद्धिमा उठकर गई, वह अपना लैपटॉप लेकर आई। उसने पार्थ की साइड खड़े होकर हाथ से उधर खिसकने का इशारा किया। पार्थ थोड़ा सा हटा और उसने रिद्धिमा के बैठने के लिए जगह दी। रिद्धिमा ने मूवी लगा ली, दोनो बिना कुछ बोले देखने लगे। एक moment में पार्थ ने रिद्धिमा की तरफ चुपके से देखा, अचानक से रिद्धिमा ने भी नोटिस कर लिया और वह भी उसकी तरफ मुड़ी, दोनों की नजरें कुछ देर तक मिली। फिर असहजता बढ़ने पर दोनो ने वापस लैपटॉप स्क्रीन की तरफ नजर घुमा ली। मूवी देखते देखते कुछ देर में पार्थ को नींद आ गई। सोते हुए उसका सर रिद्धिमा के कंधे की तरफ झुका, और फिर छू गया। छूते‌ ही रिद्धिमा ने नोटिस किया और उसकी तरफ देखा। वो मुस्कुराई, और उसने लैपटॉप बंद करके बेड के एक तरफ रख दिया। उसने खुद को थोड़ा सा रिलैक्सिंग position में एडजस्ट किया और पार्थ का सर अपने कंधे से हटाकर बड़े आराम से अपनी गोद में रख लिया। इस मूवमेंट पर अचानक पार्थ की आंख खुल गई, उसने असहजता में हल्का सा उठने और कुछ बोलने का प्रयास किया, पर तभी रिद्धिमा ने अपना एक हाथ उसके सर पर रखा, और दूसरा उसके होटों पर रख कर उसे आंखों से ऐसा न करने का इशारे किया। पार्थ वापस से रिलैक्स्ड हुआ, और उसने रिद्धिमा की आंखों में देखते हुए आंखें बंद कर ली। वह फिर से गहरी नींद मैं चला गया, और रिद्धिमा भी बेड के सिरहाने पर पीठ लगाकर बैठे - बैठे ही सो गई। शाम होने पर जब पार्थ की आंख खुली तो वह अचानक से उठा, इस कारण से रिद्धिमा भी जाग गई। पार्थ तेजी से बेड से उतरा, उसने इधर उधर देखा, अपना फोन उठाया, और फिर कुछ पल के लिए रिद्धिमा की तरफ देखा जो अभी भी बेड पर ही बैठी थी। रिद्धिमा ने कुछ expression नही दिए। पार्थ की नज़र बेडसाईड टेबल पर रखे एक नोटपैड और पेन पर गई। उसने फौरन उसे उठाकर उसपर लिखा, "मेरी वापसी की फ्लाइट है रात में, अभी मुझे घर जाना होगा। I'll call you after reaching Mumbai." उसने नोट निकालकर रिद्धिमा को दिया। रिद्धिमा ने पढ़ा, और फिर पार्थ की तरफ देखा। उसका मन रिस्पॉन्स में कुछ लिखने का हुआ, पर एक अजीब सी घबराहट में उसका हाथ नही चला। पार्थ मुड़ा और जाने लगा, रिद्धिमा ने Bye बोलने के लिए अपना हाथ उठाया पर आधे से ही नीचे कर लिया, जब देखा के पार्थ पलट कर जाने लगा है। पार्थ चला गया, और रिद्धिमा शांत भाव पर व्याकुल और भारी मन के साथ अपने बेड पर बैठी रही। उसे पता था पार्थ अब कभी कॉल नहीं करेगा, वह कभी अब दोबारा उसकी आवाज नहीं सुन पाएगी। वो समझ गई थी, वो जा चुका है, हमेशा के लिए।

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Areen Agrawal

The Twaddle on Love, Society & Sciences. (◍•ᴗ•◍)